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UP Board 10th Physics Notes in Hindi
इस पेज पर यूपी बोर्ड कक्षा 10वीं के छात्रों के लिए फिजिक्स (भौतिक विज्ञान) का नोट्स पीडीऍफ़ फॉर्मेट में दिया गया है | यह नोट्स आपकी बोर्ड परीक्षा के लिए काफी उपयोगी साबित होंगे | यह नोट्स यूपी बोर्ड के latest ncert pattern पर आधारित हैं |
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सभी नोट्स नीचे दिए गए हैं |
UP Board High School Physics Notes in Hindi
Light (प्रकाश)
प्रकाश एक प्रकार की उर्जा है जो हमारी आखों को संवेदित करती है |
प्रकाश के गुण(Properties of Light)
1- निर्वात में प्रकाश की चाल 3 X 108 होती है |
2- दृश्य प्रकाश की तरंग दैर्ध्य 3900 A से 7800 A तक होती है |
3- प्रकाश विद्दयुत तरंगो के रूप में सीधी रेखा में चलता है |
4- प्रकाश के कारण वस्तुएं हमे दिखाई देती है , लेकिन प्रकाश स्वयं हमें दिखाई नहीं देता है |
5- प्रकाश जब किसी तल से टकराता है तो उसका परावर्तन हो जाता है |
नोट- जो वस्तुयें प्रकाश उत्पन्न करती हैं , उन्हें प्रदीप्त(Luminous) वस्तुयें कहते हैं
जैसे- सूर्य, मोमबत्त्ती , बल्ब etc.
तथा जो वस्तुयें प्रकाश उत्पन्न नहीं करती हैं , उन्हें अप्रदिप्त(Non-Luminous) वस्तुयें कहते हैं |
जैसे- चंद्रमा , किताब , कलम etc.
प्रकाश की किरणों के प्रकार(Types of Rays)
प्रकाश की किरण तीन प्रकार की होती है –
1 – समान्तर
यह किरणें सभी बिन्दुओं पर समान्तर होती हैं |
2 – अभिसारी
यह किरणें स्रोत से निकलकर किसी एक बिंदु पर मिल जातीं हैं |
3 – अपसारी किरणें
यह किरणें स्रोत से फैलती हुई नजर आती हैं , यह किरणें अभिसारी किरणों के ठीक उल्टा होती हैं |
प्रकाशिक माध्यम(Optical Medium)
जिस माध्यम से प्रकाश गुजरता है , उसे प्रकाशिक माध्यम कहते हैं | प्रकाशिक माध्यम तीन प्रकार का होता है –
1 – पारदर्शी माध्यम (Transparent)
जिस माध्यम से प्रकाश आसानी से आर-पार निकल जाता है , उसे पारदर्शी माध्यम कहते हैं |
जैसे- निर्वात , हवा , कांच etc.
2 – पारभासी माध्यम (Transluscent)
जिस माध्यम से प्रकाश का कुछ भाग आर-पार निकल जाता है , उसे पारभासी माध्यम कहते हैं |
जैसे – जल , पर्दा etc.
3 – अपारदर्शी माध्यम (Opaque)
जिस माध्यम से प्रकाश आर-पार आ जा नहीं सकता है , उसे अपारदर्शी माध्यम कहते हैं |
जैसे – लकड़ी , मिटटी etc.
प्रतिबम्ब (Image) –
दर्पण में बनने वाले वस्तु की आकृति को प्रतिबम्ब कहते हैं |
प्रतिबम्ब दो प्रकार का होता है –
1 – वास्तविक प्रतिबम्ब
इसको परदे पर प्राप्त किया जा सकता है | यदि किसी बिंदु से चलने वालीं प्रकाश की किरणें दर्पण से परावर्तित होने के पश्चात् किसी दुसरे बिंदु पर वास्तव में मिलतीं हों, तो बनने वाला प्रतिबिम्ब वास्तविक होगा |
2 – आभासी प्रतिबिम्ब
इसको परदे पर प्राप्त नहीं प्राप्त कर सकते हैं , इसका फोटो लिया जा सकता है | यदि किसी बिंदु से चलने वालीं प्रकाश की किरणें दर्पण से परावर्तित होने के पश्चात् किसी दुसरे बिंदु पर वास्तव में नहीं मिलती हों , बल्कि मिलती हुई प्रतीत होती हों तब बनने वाला प्रतिबिम्ब आभासी होगा |
प्रकाश का परावर्तन(Reflection of Light)
जब प्रकाश किसी चिकने तल से टकराता है तो वापस अपने मार्ग पर लौट जाता है , यह क्रिया प्रकाश का परावर्तन कहलाता है |
प्रकाश के परावर्तन का नियम(Laws of Reflection) –
प्रकाश के परावर्तन का दो मुख्य नियम है :-
1 – आपतित किरण , परावर्तित किरण और आपतन बिंदु पर अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते हैं |
2 – आपतन कोण , अपवर्तन कोण के बराबर होता है |
प्रकाश का परावर्तन (Reflection of Light)-
प्रकाश का किसी चिकने तल से टकराकर वापस अपने मार्ग पर लौटने की क्रिया , प्रकाश का परावर्तन कहलाता है | जिस तल पर प्रकाश का परावर्तन होता है , उसे परावर्तक तल कहते हैं |
गोलीय दर्पण (Spherical Mirror)-
खोखले गोले के पृष्ठ का एक भाग गोलीय दर्पण कहलाता हैं , यह दो प्रकार के होते हैं :-
1 – अवतल दर्पण (Concave Mirror in Hindi)
इस दर्पण में प्रकाश का परावर्तन दर्पण के भीतरी भाग से होता है | इस दर्पण की फोकस दुरी ऋणात्मक (-) होता है |
2 – उत्तल दर्पण (Convex Mirror in Hindi)
इस दर्पण में प्रकाश का परावर्तन दर्पण के उपरी भाग से होता है | इस दर्पण की फोकस दुरी धनात्मक(+) होता है |
गोलीय दर्पण से सम्बंधित परिभाषाएं (Definition related to Spherical Mirror in Hindi)
1 – दर्पण का ध्रुव
गोलीय दर्पण के परावर्तक तल के मध्य बिंदु को दर्पण का ध्रुव कहते हैं , इसको P से प्रदर्शित करते हैं |
2 – वक्रता केंद्र
गोलीय दर्पण जिस गोले से काटा गया है , उसके केंद्र को उस दर्पण का वक्रता केंद्र कहते हैं | इसको C से प्रदर्शित करते हैं |
3 – वक्रता त्रिज्या
वक्रता केंद्र से ध्रुव तक की दुरी वक्रता त्रिज्या कहलाती है | इसको r से प्रदर्शित करते हैं |
4 – मुख्य अक्ष
वक्रता केंद्र को ध्रुव से मिलाने वाली रेखा , मुख्य अक्ष कहलाती है |
5 – फोकस
प्रकाश की किरणें गोलीय दर्पण से परावर्तित होने के बाद मुख्य अक्ष पर स्थित जिस बिंदु से होकर जाती हैं , उसे फोकस या मुख्य फोकस कहते हैं | इसको F से प्रदर्शित करते हैं |
6 – फोकस दुरी
गोलीय दर्पण के ध्रुव से फोकस तक की दुरी फोकस दुरी कहलाती है इसको f से प्रदर्शित करते हैं |
गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या तथा फोकस दुरी में संबंध (Relation Between Radious of Curvature and Focal Length in Hindi):-
अवतल और उत्तल दर्पण दोनों के लिए –
अवतल दर्पण से प्रतिबिम्ब बनने के नियम (Laws to Make Image From Concave Mirror in Hindi)
a – जब वस्तु अनंत पर रखी हो तब प्रतिबिम्ब दर्पण के मुख्य फोकस पर उल्टा , वास्तिवक तथा वस्तु से बहुत छोटा बनेगा |
b – जब वस्तु वक्रता केंद्र और अनंत के बीच में रखी हो तब प्रतिबिम्ब दर्पण के मुख्य फोकस और वक्रता केंद्र के बीच बनेगा तथा उल्टा , वास्तविक और वस्तु से छोटा होगा |
c – जब वस्तु वक्रता केंद्र पर रखी हो तब प्रतिबिम्ब दर्पण के वक्रता केंद्र पर उल्टा , वास्तविक और वस्तु के बराबर बनता है |
d – जब वस्तु फोकस और वक्रता केंद्र के बीच रखी हो तब प्रतिबिम्ब दर्पण के वक्रता केंद्र और अनंत के बीच बनता है तथा उल्टा , वास्तविक और वस्तु से बड़ा होता है |
e – जब वस्तु मुख्य फोकस पर रखी हो तब प्रतिबिम्ब अनंत पर बनेगा और उल्टा , वास्तविक तथा वस्तु से बड़ा होगा |
f – जब वस्तु मुख्य फोकस और ध्रुव के बीच रखी हो तब प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे बनेगा तथा सीधा , आभासी और वस्तु से बहुत बड़ा होगा |
उत्तल दर्पण से प्रतिबिम्ब बनने का नियम (Laws to Make Image From Convex Mirror in Hindi):-
उत्तल दर्पण में वस्तु की सभी अवस्थाओं के लिए प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे मुख्य फोकस और ध्रुव के बीच में सीधा , आभासी और वस्तु से छोटा बनेगा |
नोट:-
1 – गोलीय दर्पण से वस्तु की दुरी को ‘u’ से प्रदर्शित करते हैं |
2 – गोलीय दर्पण से प्रतिबिम्ब की दुरी को ‘v’ से प्रदर्शित करते हैं |
3 – अवतल तथा उत्तल दर्पण के लिए ‘u’ का मान हमेशा ऋणात्मक होता हैं |
4 – उत्तल दर्पण के लिए ‘v’ का मान हमेशा धनात्मक होता है |
5 -अवतल दर्पण में अगर वस्तु का प्रतिबिम्ब दर्पण से पीछे बने तब ‘v’ का मान धनात्मक होगा, नहीं तो अन्य सभी अवस्थाओं में ‘v’ का मान ऋणात्मक होगा |
गोलीय दर्पण के लिए u , v तथा f में संबंध (Relation Between u , v and f in Hindi)
अवतल और उत्तल दोनों के लिए
रेखीय आवर्धन (Linear Magnification in Hindi)-
प्रतिबिम्व की लम्बाई(I) तथा वस्तु की लम्बाई(O) के अनुपात को रेखीय आवर्धन कहते हैं |
अवतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिम्ब का रेखीय आवर्धन –
संयुग्मी फोकस (Conjugate focus in hindi)-
उन दो बिन्दुओं को जिनमे एक बिंदु पर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब दुसरे बिंदु पर बनता है , संयुग्मी फोकस कहलाता है |
अवतल दर्पण का उपयोग (Use of Concave Mirror in Hindi)-
1- दाढ़ी बनाने में |
2- डॉक्टर द्वारा आँख , कान , गला इत्यादि की जाँच करने में |
3- टेबल लैंप में |
4- गाडियों के हेड लाइटो में |
etc.
उत्तल दर्पण का उपयोग (Use of Convex Mirror in Hindi)-
1- सड़क पर लगे हुए लम्पों में |
2- गाड़ियों में ड्राइवर के बगल में लगा हुआ दर्पण भी उत्तल दर्पण ही होता है |
etc.
प्रकाश का अपवर्तन (समतल पर) {Refraction of Light in Hindi}
जब प्रकाश एक माध्यम से दुसरे माध्यम में जाता है , तो अपने मार्ग से विचलित हो जाता है , यह क्रिया प्रकाश का अपवर्तन कहलाता है |
Note – प्रकाश जब सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाता है तो, अभिलम्ब से दूर हो जाता है
तथा जब विरल माध्यम से सघन माध्यम में जाता है तो , अभिलम्ब की ओर आ जाता है |
अपवर्तन का नियम(Law of Refraction of Light in Hindi)
अपवर्तन के दो नियम हैं –
1- आपतित किरण , अपवर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर खीचा गया अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते हैं |
2- एक रंग के प्रकाश के लिए , किन्हीं दो माध्यमों के बीच अपवर्तन में आपतन कोण की ज्या ( sin i ) , अपवर्तन कोण की ज्या ( sin r ) के समानुपाती होती है |इसे ‘स्नैल का नियम(snell’s law )’ कहते हैं |
यदि आपतन कोण का मान i तथा अपवर्तन कोण का मान r हो , तो
जहा ‘n’ समानुपाती नियतांक है , इसको ‘अपवर्तनांक’ कहते हैं |
अपवर्तनांक (Refractive Index in hindi)
एक माध्यम से सापेक्ष , दुसरे माध्यम का अपवर्तनांक
Note- बैगनी रंग के प्रकाश के लिए अपवर्तनांक सबसे अधिक तथा लाल रंग के प्रकाश के लिए अपवर्तनांक सबसे कम होता है |
अपवर्तनांक के प्रकार(Kinds of Refractive Index in hindi ) –
अपवर्तनांक दो प्रकार का होता है :-
1- सापेक्ष अपवर्तनांक (Relative Refractive Index in hindi)
जब अपवर्तनांक दो माध्यमों के बीच( जैसे-पानी, हवा etc.) निकला जाये तो उसे सापेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं |
2- निरपेक्ष अपवर्तनांक ( Absolute Refractive Index in hindi )
जब अपवर्तनांक निर्वात और किसी माध्यम के बीच निकला जाये तब उसे निरपेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं |
क्रांतिक कोण (Critical Angle in hindi )
आपतन कोण के उस मान को , जिसके लिए अपवर्तन कोण का मान 90 ० हो जाये , क्रांतिक कोण कहते हैं | क्रांतिक कोण को ‘c’ से प्रदर्शित करते हैं |
पूर्ण आन्तरिक परावर्तन ( Total Internal Refraction in hindi )
जब आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण से अधिक हो जाए , तब प्रकाश किरण परावर्तित होकर उसी माध्यम में वापस लौट जाती है , इस क्रिया को पूर्ण आन्तरिक परावर्तन कहते हैं |
Note – क्रांतिक कोण और पूर्ण आन्तरिक परावर्तन तभी संभव है, जब प्रकाश किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में जा रही हो |
प्रिज्म(Prism in Hindi) –
किसी कोण पर झुके हुए किन्ही दो पृष्ठों के बीच स्थित पारदर्शी भाग , प्रिज्म कहलाता है | प्रिज्म के जिन पृष्ठों से प्रकाश का अपवर्तन होता है , उन्हें ‘अपवर्तक पृष्ठ’ कहते हैं तथा उनके बीच के कोण को ‘अपवर्तक कोण’ या ‘प्रिज्म कोण’ कहते हैं |
प्रिज्म के अन्दर जब श्वेत प्रकाश प्रवेश करता है , तो उसके दुसरे भाग से सात रंग का प्रकाश निकलता है, ये सातों रंग क्रमशः लाल(Red) , नारंगी(Orange) , पीला(Yellow) , हरा(Green) , नीला(Blue) , जामुनी(Indigo) तथा बैंगनी(Violet) हैं जिन्हें छोटे रूप में ‘VIBGYOR’ कहते हैं |
प्रकाश का प्रकीर्णन (Scattering of Light in hindi )
जब प्रकाश किरण किसी ऐसे माध्यम से गुजरती है जिसमें छोटे-छोटे कण उपस्थित हो , तब प्रकाश किरण का उन कणों पर प्रकीर्णन हो जाता है | बैगनी रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे ज्यादा तथा लाल रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे कम होता है |
प्रकाश के प्रकीर्णन का उदाहरण
1- आसमान का रंग नीला होना |
2- खतरे का निशान लाल रंग का होना |
etc.
Lens Notes in Hindi (लेन्स नोट्स हिंदी में)
Refraction of light on Lens in Hindi( लेन्स पर प्रकाश का परावर्तन )
लेन्स (Lens in Hindi)
दो पृष्ठों से घिरा हुआ कोई पारदर्शी माध्यम, जिसका एक या दोनों पृष्ठ गोलीय हों , लेन्स कहलाता है | यह दो प्रकार के होते हैं –
1- उत्तल लेन्स (Convex Lens in Hindi)
यह लेन्स किनारों पर पतले और बीच में मोटे होते हैं , इसे अभिसारी लेन्स भी कहते हैं |
2 – अवतल लेन्स ( Concave Lens in hindi )
यह लेन्स किनारों पर मोटे और बीच में पतले होते हैं , इसे अपसारी लेन्स भी कहते हैं |
लेन्स से सम्बंधित परिभाषाएं (Definition Related to Lens in Hindi)
1 – मुख्य अक्ष
लेन्स के दोनों पृष्ठों के वक्रता केंद्र से होकर जाने वाली रेखा को ‘मुख्य अक्ष’ कहते हैं |
2 – प्रकाशिक केंद्र
लेन्स के मुख्य अक्ष पर स्थित वह बिंदु जिससे होकर जाने वाली प्रकाश किरण अपवर्तन के पश्चात आपतित किरण के समान्तर निकल जाती है , लेन्स का प्रकाशिक केंद्र कहलाता है |
3 – मुख्य फोकस
उत्तल लेन्स और अवतल लेन्स दोनों के दो मुख्य फोकस होते हैं –
a – प्रथम मुख्य फोकस
उत्तल लेन्स के लिए – वह बिंदु जहाँ से चलने वाली प्रकाश किरणें लेन्स से अपवर्तित होने के बाद मुख्य अक्ष के समान्तर हो जाती हैं , उत्तल लेन्स का मुख्य फोकस कहलाता है | इसे F 1 से प्रदर्शित करते हैं |
अवतल लेन्स के लिए – वह बिंदु जिसपर प्रकाश किरणें आती हुई प्रतीत होती हैं और लेन्स से अपवर्तित होने के बाद मुख्य अक्ष के समान्तर हो जाती हैं , अवतल लेन्स का मुख्य अक्ष कहलाती हैं | इसे F 1 से प्रदर्शित करते हैं |
b – द्वितीय मुख्य फोकस
उत्तल लेन्स की लिए – समान्तर आती हुई प्रकाश किरणें लेन्स से अपवर्तित होने के बाद जिस बिंदु पर मिलती हैं , उसे उत्तल लेन्स का द्वितीय मुख्य फोकस कहते हैं , इसे F 2 से प्रदर्शित करते हैं |
अवतल लेन्स के लिए – मुख्य अक्ष के समान्तर आती हुई , प्रकाश किरण लेन्स से अपवर्तित होने के बाद जिस बिंदु से फैलती हुई प्रतीत होती हैं , उसे अवतल लेंस का द्वितीय मुख्य फोकस कहते हैं , इसे F 2 से प्रदर्शित करते हैं |
4 – वक्रता त्रिज्या ध्रुव से वक्रता केंद्र की दुरी को वक्रता त्रिज्या कहते हैं |
लेन्स द्वारा प्रतिबिम्ब बनने का नियम ( Principles of making image by lens in hindi )-
उत्तल लेन्स द्वारा
1 – जब वस्तु अनंत पर स्थित हो
जब वस्तु अनंत पर होगी तब बनने वाला प्रतिबिम्ब छोटा , वास्तविक और उल्टा होगा तथा लेन्स के द्वितीय फोकस ( F 1 ) पर बनेगा |
2 -जब वस्तु अनंत और लेन्स के दोगुनी फोकस दुरी ( 2 F 2 ) के बीच स्थित हो
ऐसी स्थिति में प्रतिबिम्ब लेन्स के द्वितीय फोकस दुरी ( F 2 ) और दुगनी द्वितीय फोकस दुरी ( 2 F 2 )के बीच बनेगा तथा छोटा, उल्टा और वास्तविक होगा |
3 – जब वस्तु लेन्स के दुगनी फोकस दुरी( 2 F 1 ) पर स्थित हो
इस स्थिति में प्रतिबिम्ब लेन्स के दुगनी द्वितीय फोकस दुरी ( 2 F 2 ) पर बनेगा और उल्टा , वास्तविक और वस्तु के बराबर ही होगा |
4 – जब वस्तु लेन्स के फोकस दुरी ( F 1 ) और दुगनी फोकस दुरी ( 2 F 1 ) के बीच स्थित हो
इस स्थिति में प्रतिबिम्ब लेन्स के दुगनी द्वितीय फोकस दुरी ( 2 F 2 ) से दूर तथा वास्तविक , उल्टा और वस्तु से बड़ा बनेगा |
5 – जब वस्तु लेन्स के फोकस दुरी ( F 1 ) पर स्थित हो इस स्थिति में प्रतिबिम्ब अनंत पर उल्टा , वास्तविक और वस्तु से बहुत बड़ा बनेगा |
6 – जब वस्तु फोकस दुरी ( F 1 )और लेन्स के बीच स्थित हो
इस स्तिथि में प्रतिबिम्ब वस्तु के पीछे सीधा, आभासी और बड़ा बनेगा |
अवतल लेन्स द्वारा
अवतल लेन्स द्वारा वस्तु के किसी भी स्थिति के लिए प्रतिबिम्ब लेन्स और प्रथम फोकस (F1) के बीच आभासी , सीधा और वस्तु से छोटा बनेगा |
लेन्स के फोकस दुरी के लिए सूत्र (Formula of Lens Focal Length in Hindi)
image here
आवर्धन का सूत्र ( Formula of Magnification in hindi )
image here
लेन्स की क्षमता ( Lens Power in hindi )
प्रकाश किरणों को मोड़ने की क्षमता को लेन्स की क्षमता कहते हैं, जो लेन्स प्रकाश किरणों को जितना अधिक मोड़ता है , वह उतना ही अधिक क्षमता वाला होता है | लेन्स की क्षमता का मात्रक ‘डायोप्टर ‘ है |
लेन्स की क्षमता और फोकस दुरी में संबंध (Relation Between Lens Power and Focal Length in Hindi )
image here
लेंसों का उपयोग ( Uses of Lens in hindi )
उत्तल लेन्स –
1 – सूक्ष्मदर्शी , दूरदर्शी बनाने में |
2 – घड़ीसाज द्वारा घडी की मरम्मत करने में |
3 – डॉक्टर द्वारा आँख , कान , नाक , गला आदि की जाँच करने में |
4 – दूर दृष्टि दोष में उत्तल लेन्स का चश्मा लगाया जाता है |
etc.
अवतल लेन्स –
1 – निकट दृष्टि दोष में , अवतल लेन्स का चश्मा लगाया जाता है |
Thanks!
JAMUNA PRASAD CHAUDHARY says
I want pdf notes class 10 physics
UPMSP says
hey @जमुना, आप इस पेज पर प्रिंट कर सकते हैं |
Disha says
Really it’s to good tq so much
Bunny Gautam. says
Nice
Sumit says
PDF chahiye
Ajeet says
yes
Ajeet says
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UPMSP says
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