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UP Board 10th Chemistry Notes in Hindi PDF
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UP Board High School Chemistry Notes in Hindi
Acid, Base & Salt Notes in Hindi
अम्ल और क्षार (Acid and Base notes in Hindi)
अम्ल(Acid definition in hindi)
साधारणत: वह पदार्थ जिसका स्वाद खट्टा होता है तथा जो नीले लिटमस पेपर(LITMUS PAPER) को लाल कर देता है, अम्ल कहलाता है
जैसे- HCl , H2SO4 , HNO3 etc.
सभी अम्लों में हाइड्रोजन आयन (H+) उपस्थित होता है |
जैसे-
HCl → (H+) + (Cl–)
H2SO4 → 2(H+) + (SO4–)
etc.
अम्लों के रासायनिक गुण( Cemical properties of Acid)
– निम्न हैं :
1- अम्ल जल में घुलकर हायड्रोनियम आयन (H3O+) का निर्माण करता है |
(H+) + H2O → (H3O+)
2- अम्ल धातुओं से क्रिया करके लवण(Salt) और जल बनाता है |
[ अम्ल + धातु = लवण + H2 ]
H2SO4 + Zn → ZnSO4 + H2
2HNO3 + Cu → Cu(NO3)2 + H2
3- अम्ल धात्विक ऑक्साइड से क्रिया करके लवण बनाते है तथा जल बाहर निकलता है |
[ अम्ल + धातु ऑक्साइड = लवण + H2O]
CuO + H2SO4 → CuSO4 + H2O
ZnO + 2HCl → ZnCl2 + H2O
कुछ सामान्य पदार्थो में उपस्थित अम्ल
- सिरका – एसिटिक अम्ल
- संतरा – सिट्रिक अम्ल
- इमली – टार्टरिक अम्ल
- टमाटर – ऑक्सैलिक अम्ल
- दही – लैटिक अम्ल
- निम्बू – सिट्रिक अम्ल
- चींटी – मेथेनोइक अमल
क्षार(Base definition in hindi)
इसका स्वाद खट्टा होता है तथा यह लाल लिटमस पेपर( LITMUS PAPER) को नीला कर देता है |
जैसे- NaOH , Ca(OH)2 etc.
सामान्यत: सभी क्षारों में (OH–) उपस्थित होता है |
जैसे-
NaOH → (Na+) + (OH–)
Ca(OH)2 → (Ca++) + (OH–)
क्षारों के रसायनिक गुण( Chemical properties of Base)- निम्न हैं-
1- क्षार जलीय विलयन में घुलकर (OH–) आयन देता है |
2- क्षार अमोनियम लवण से क्रिया करके लवण, जल और अमोनिया गैस बनाता है |
[ क्षार + अमोनियम लवण = लवण + जल + NH3]
जैसे-
NH4Cl + KOH → KCI + H2O + NH3
NaOH + (NH4)2SO4 → NaSO4 + 2H2O + 2NH3
3- क्षार अधातु ऑक्साइड से क्रिया करके लवण व जल बनाते हैं |
[ क्षार + अधातु ऑक्साइड = लवण + H2O ]
जैसे-
2 NaOH + CO2 → Na2CO3 + H2O
2 KOH + CO2 → K2CO3 + H2O
Note – धातु ऑक्साइड भी क्षार होते हैं |
जैसे-
CuO , FeO ,Al2CO3 etc.
क्षारक(Alkais)
– वे क्षार जो जल मे घुलकर (OH–) आयन देते हैं, क्षारक कहलाते हैं |
जैसे-
NaOH → (Na+) + (OH–)
Ca(OH)2 → (Ca++) + (OH–)
ध्यान दें-
सभी क्षारक क्षार होते हैं, लेकिन सभी क्षार क्षारक नही होते हैं |
जैसे- NaOH एक क्षारक हैं क्योंकि यह जल में घुलकर (OH–) देता है , CaO एक क्षार हैं लेकिन क्षारक नहीं हैं क्योंकि यह जल में घुलकर (OH–) नही देता है |
हाइड्रोनियम आयन(Hydronium ion)-
जब acid को जल में घोला जाता है तो वह आयनित हो जाता है तथा जल के अणुओं से अभिक्रिया करके हाइड्रोनियम आयन (H3O)+ बनाता है।
Eg- HCl + H2O → (H3O)+ + Cl–
उदासीनीकरण(Neutralisation)
Acid और Base के परस्पर अभिक्रिया करने पर salt और water बनने की क्रिया,उदासीनीकरण कहलाती है।Eg- NaOH+HCl → NaCl+H2O
आयनीकरण(Ionisation)
-किसी यौगिक(compound) का धनायन (+) तथा ऋणायन (-) में टुट जाना आयनीकरण कहलाता है।
Eg- NaCl→ (Na+)+Cl–
लवण(Salt in hindi)
जब अम्ल और क्षार एक दूसरे से अभिक्रिया करते हैं तो लवण व जल का निर्माण होता है |अम्ल + क्षार = लवण + जलजैसे-
HCl + NaOH → NaCl + H2O
H2SO4 + Ca(OH)2 → CaSO4 + 2H2O
note:- साधारण नामक का रासायनिक नाम सोडियम क्लोराइड (NaCl) है |
लवणों का वर्गीकरण(Classification of Salt)
लवणों को मुख्यत: 6 भागों में बाटा गया है –
1- सामान्य लवण(Simple Salt)जैसे- NaCl , KCl , K2SO4 , CuSO4
2-अम्लीय लवण(Acidic Salt)जैसे- NaSO4 , NaHCO3 , KHCO3
3-क्षारीय लवण(Basic Salt)जैसे- Mg(OH)Cl , Cu(OH)Cl
4-द्विक लवण(Double Salt)
जैसे – K2SO4.Al2(SO4)3. 24 H2O (फिटकरी), FeSO4.(NH4)SO4. 6H2O (मोहर लवण)
5- संकर लवण(Complex Salt)जैसे –
K4[Fe(CN)6] (पोटैशियम फेरस सायनाइड),
Na[Ag(CN)2] (सोडियम सिल्वर सायनाइड),
[Cu(NH3)4]SO4 (कॉपर अमोनियम सायनाइड)
6-मिश्रित लवण(Mixed Salt)जैसे-
NaKSO4 , Ca(OCl)Cl , MgNH4PO4
सूचक(Indicator)
ऐसा पदार्थ जो किसी अम्ल अथवा क्षार से क्रिया करके अपना रंग बदल लेता है, सूचक कहलाता है |
जैसे – लिटमस पेपर, मेथिल ऑरेंज , फिनाल्फ़थेलिन
कुछ प्रमुख सूचक तथा अम्लीय और क्षारीय विलयन में उनके रंग
1 – लिटमस पत्र(Litmus paper)
अम्लीय विलयन में – नीला(blue)
क्षारीय विलयन में – लाल(Red)
2 – मेथिल रेड(Methyl red)
अम्लीय विलयन में – लाल(Red)
क्षारिय विलयन में – पीला(yellow)
3 – मेथिल आरेन्ज(methyl orange)
अम्लीय विलयन में – लाल(Red)
क्षारीय विलयन में – नारंगी+पीला(yellow+ orange)
4 – फिनॅल्फ्थेलीन (Phenolphthalein)
अम्लीय विलयन में – रंगहीन(color less)
क्षारीय विलयन में – गुलाबी(pink)
pH पैमाना(pH scale)
इसका अविष्कार सरेंसन ने किया था | इसका उपयोग किसी विलयन की अम्लीयता या क्षारकता मापने के लिए किया जाता है |
- pH scale में 0 से लेकर 14 तक बिंदु होते हैं |
- यदि किसी विलयन का pH मान 7 हो, तो वह उदासीन होगा |
- यदि किसी विलयन का pH मान 7 से कम हो ,तो उसकी प्रकृति अम्लीय होगी |
- यदि किसी विलयन का pH मान 7 से अधिक हो,तो उसकी प्रकृति क्षारीय होगी |
pH मान(pH value)
किसी विलयन का pH मान यह बताता है की वह विलयन क्षारीय है अथवा अम्लीय |
किसी विलयन का pH मान उसमे उपस्थित [H+] पर निर्भर करता है, अगर किसी विलयन के [H+] की सांद्रता दी हुई हो , तो उसका
pH मान = – log [H+]
जैसे – एक विलयन के [H+] की सांद्रता 1 x 10-9 उसका pH मान और प्रकृति बताइए |
हल –
pH = -log[H+] = -log [1×10-9] = – (-9 x log10) = 9
{note-log10 का मान 1 होता है }
pOH मान(pOH value)
अगर किसी विलयन के [OH–] की सांद्रता दी हुई हो, तो उसका
pOH मान = – log [OH–]
जैसे- किसी विलयन में [OH–] की सांद्रता 1×10-7 हो, तो उसका pOH मान बताइये |
हल –
pOH =- log[OH–] = -log[1×10-7] = – (-7 x log 10) = 7
याद रखें –
pH + pOH = 14
कुछ सामान्य पदार्थो के pH मान
- सांद्र HCl – 0
- तनु HCl – 1
- निम्बू का रस – 2.5
- सिरका – 4
- टमाटर – 4.1
- कॉफ़ी – 5.0
- दूध – 6.5
- शुद्ध जल – 7
- मानव रक्त – 7.4
- अण्डा – 7.8
- टूथपेस्ट – 8
- तनु NaOH – 13
- सांद्र NaOH – 14
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धावन सोडा(Washing powder)
रासानिक नाम- सोडियम कार्बोनेट डेका हाइड्रेट
रासानिक सूत्र – Na2CO3.10H2O
धावन सोडा बनाने की विधि (Method to make Washing Powder)
सोडियम हाइड्राक्साइड के सांद्र विलयन में कार्बन डाई ऑक्साइड गैस प्रवाहित करने पर धावन सोडा प्राप्त होता है |
2NaOH + CO2 → Na2CO3 + H2O
धावन सोडा के भौतिक एवं रासानिक गुण(Physical and Chemical properties of Wahing Powder) –
1 – धावन सोडा को गर्म करने पर यह सोडा ऐश (Na2CO3) में बदल जाता है |
Na2CO3.10H2O → Na2CO3 + 10 H2O
2 – धावन सोडा कार्बन डाई ऑक्साइड से क्रिया करके बेकिंग सोडा बनाता है |
Na2CO3 + H2O + CO2→ 2 NaHCO3
3 – धावन सोडा बुझे चुने [ Ca(OH)2 ] के साथ क्रिया करके कास्टिक सोडा (NaOH) और चुना पत्थर (CaCO3) बनाता है |
Na2CO3 + Ca(OH)2→ 2 NaOH + CaCO3
4 – सोडियम कार्बोनेट को सिलिका डाई ऑक्साइड(रेत) के साथ गर्म करने पर काँच (Na2SiO3) बनता है |
Na2CO3 + SiO2 →Na2SiO3 + CO2
5 – धावन सोडा अम्लों से क्रिया करके लवण व जल बनाता है तथा CO2 गैस निकलती है |
Na2CO3 + 2HNO3 → 2NaNO3 + H2O + CO2
धावन सोडा के उपयोग(Uses of Washing Powder)-
- कपड़े धोने में |
- बेकिंग पाउडर बनाने में |
- अग्नि शामक यंत्र में |
- साबुन बनाने में |
- कठोर जल मृदु करने में |
बेकिंग सोडा(Baking Powder)
रासयनिक नाम – सोडियम बाई कार्बोनेट
रासायनिक सूत्र – NaHCO3
बनाने की विधि(Method to make Baking Powder)
सोडा ऐश के जलीय विलयन में कार्बन डाई ऑक्साइड गैस प्रवाहित करने पर बेकिंग सोडा प्राप्त होता है |
Na2CO3 + H2O + CO2 → 2NaHCO3
भौतिक एवं रासायनिक गुण-
1 – इसकी प्रकृति क्षारीय होती है |
2 – इसको 100 ℃ पर गर्म करने पर यह धावन सोडा में बदल जाता है |
2NaHCO3 → Na2CO3 + H2O + CO2
3- अम्लों से क्रिया करके लवण , जल व कार्बन डाई ऑक्साइड गैस बनाता है |
NaHCO3 + HNO3 → NaNO3 + H2O + CO2
बेकिंग सोडा के उपयोग(Uses of Baking Powder)
- 1- धावन सोडा बनाने में
- Cold Drinks बनाने में
- डबल रोटी बनाने में
- अग्नि शामक यंत्र में
- प्रयोगशाला में | etc.
नौसादर ( Sal Ammonia)
रासानिक नाम- अमोनियम क्लोराइड
रासानिक सूत्र – NH4Cl
बनाने की विधि(Method to make Sal Ammonia)
हाइड्रोक्लोराइड अम्ल में अमोनिया गैस प्रवाहित करने पर नौसादर प्राप्त होता है |
HCl + NH3→ NH4Cl
नौसादर का भौतिक एवं रासायनिक गुण(Physical and Chemical Properties of Sal Ammonia)
1 – यह सफेद रंग का एक क्रिस्टलीय पदार्थ है , इसको जलाने पर यह बिना द्रव में परिवर्तित हुए सीधे गैस में परिवर्तित हो जाता है |
NH4Cl → NH3 + HCl
2 – कास्टिक सोडा के साथ क्रिया कराने पर NH3 देता है |
NH4Cl + NaOH → NaCl + H2O + NH3
3 – बुझे चुने के साथ क्रिया कराने पर अमोनिया गैस देता है |
2NH4Cl + Ca(OH)2 → CaCl2 + 2H2O + 2NH3
4 – लेड ऑक्साइड (लिथार्ज) के साथ अभिक्रिया कराने पर अमोनिया गैस प्राप्त होता है |
PbO + 2NH4Cl → PbCl2 + H2O + 2NH3
नौसादर के उपयोग(Uses of Sal Ammonia)
- प्रयोगशाला में
- औषधि के रूप में
- शुष्क सेल बनाने में
- उर्वरक बनाने में |
फिटकरी(Alum)
रासायनिक नाम- पोटैशियम एल्युमीनियम सल्फेट ( पोटाश एलम )
रासायनिक सूत्र – K2SO4.Al2(SO4)3.24H2O
बनाने की विधि (Method to make Alum)
K2SO4 और Al2(SO4)3 के जलीय विलयन का सांद्रण करने पर फिटकरी प्राप्त होता है |
K2SO4 + Al2(SO4)3 + 24H2O → K2SO4.Al2(SO4)3.24H2O
फिटकरी के भौतिक एवं रासायनिक गुण (Physical and Chemicl properties of Alum)
1 – फिटकरी का जलीय विलयन अम्लीय होता है |
2 – 90 ℃ पर गर्म करने पर फिटकरी पिघल जाती है |
3 – 200 ℃ पर गर्म करने पर इसका क्रिस्टल जल निकल जाता है |
K2SO4.Al2(SO4)3.24H2O → K2SO4.Al2(SO4)3 + 24H2O
4 – जल में घोलने पर यह अपने आयनों में टूट जाता है |
K2SO4.Al2(SO4)3.24H2O → K2SO4 + Al2(SO4)3 + 24H2O
K2SO4 → 2K+ + SO4– –
Al2(SO4)3 → 2Al+++ + 3SO4– –
फिटकरी के उपयोग(Uses of Alum)
- अग्निशामक यंत्र में
- चमड़ा और कागज उद्योग में
- जीवाणुनाशक के रूप में
- रक्त का बहना
- रंगाई और छपाई में
विरंजक चूर्ण(Bleaching Powder)
रासायनिक नाम – कैल्सियम हाइपो क्लोराइट
रासायनिक सूत्र – CaOCl2 या Ca(OCl)Cl
बनाने की विधि(Method to Make Bleaching Powder)
कैल्शियम हाइड्राऑक्साइड पर क्लोरीन गैस प्रवाहित करने पर विरंजक चूर्ण का निर्माण होता है |
Ca(OH)2 + Cl2 → CaOCl2 + H2O
विरंजक चूर्ण के भौतिक एवं रासायनिक गुण(Physical and Chemical Properties of Bleaching Powder)
1 – यह क्लोरीन की गंध वाला हल्का पिला चूर्ण है |
2 – इसके जलीय विलयन को गर्म करने पर Cl2 गैस निकलता है |
CaOCl2 + H2O → Ca(OH)2 + Cl2
3 – ब्लिचिंग पाउडर को गर्म करने पर यह कैल्सियम क्लोराइड तथा O2 गैस देता है |
2CaOCl2 → 2CaCl2 + O2
4 – यह कोबाल्ट क्लोराइड उत्प्रेरक (COCl2) की उपस्थति में CaCl2 व O2 गैस बनाता है |
विरंजक चूर्ण के उपयोग(Uses of Bleaching Powder)
- क्लोफार्म (CHCl3) बनाने में
- चीनी का रंग सफेद करने में
- विरंजक के रूप में
- जल को शुद्ध करने में
- ऑक्सीरक के रूप में |
Note – किसी पदार्थ का रंग उड़ाने की प्रक्रिया को विरंजन कहते हैं तथा जिस पदार्थ की सहायता से विरंजन होता है उसे विरंजक कहते हैं | Bleaching Powder में Cl2 गैस है इसलिए यह विरंजक का कार्य करता है |
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PERIODIC TABLE IN HINDI आवर्त सारणी
आवर्त सारणी (Periodic table) Highschool science के most important chapters में से एक है।
What is periodic table? (आवर्त सारणी क्या है?)
यह भी एक प्रकार का table ही है बस इसमें तत्वों(Elements) को उनके परमाणु क्रमांक(Atomic number) या परमाणु भार(Atomic weight) के बढते क्रम में रखा जाता है।
Why it was created? (क्यों बनाया गया?)
Periodic table बनने से पहले बहुत ही कम Elements की खोज हुई थी,उस समय लगभग 60 के आसपास elements की खोज हो चुका था। हालांकि उस समय कम ही तत्व थे,लेकिन वे इधर-उधर बिखरे हुए थे जिससे सभी तत्वों का अलग-अलग अध्ययन करना पड़ता था।
सन् 1971 में रुसी वैज्ञानिक(scientist) सर डी० आई० मेण्डेलीफ(Sir D.I MENDELEEV) ने देखा की कुछ तत्वों के गुण समान हैं तो उन्होंने समान गुणों वाले तत्वो को एक समुह(group) में रखकर periodic table की रचना किया ।
इसका उपयोग (It’s use)
1 – तत्वों का अध्ययन करना आसान हो गया क्योंकि किसी समूह (वर्ग) के एक तत्व का अध्ययन करने से उस समूह के सभी तत्वों का ज्ञान हो जाता है।
2 – नये तत्वों के खोज में आसानी हुई क्योंकि periodic table में अज्ञात तत्वों का स्थान खाली छोडा गया था। etc.
Some definition related to P.T (आवर्त सारणी से संबंधित कुछ परिभाषाएँ)
आवर्त(period)-आवर्त सारणी में क्षैतिज पंक्तियों को period कहते हैं।
समूह{वर्ग(Group)}– आवर्त सारणी में ऊर्ध्वाधर पंक्तियों को Group कहते हैं।
संक्रमण तत्व(transition elements)-d-block के तत्वों को संक्रमण तत्व कहते हैं।
Primary periodic table of Mendeleev (मेण्डलीफ(Mendeleev) की पुरानी(मूल) आवर्त सारणी)
इसका निर्माण सन् 1671 ई० में मेण्डलीफ(Mendeleev) द्वारा किया गया। इसमें तत्वों को मेण्डलीफ के आवर्ती नियम के अनुसार उनके परमाणु भार के बढते क्रम में रखा गया है।
मेण्डलीफ का आवर्ती नियम –
मेण्डलीफ ने बताया कि तत्वों के भौतिक(Physical) और रासायनिक(chemical) गुण(qualities) उनके परमाणु भार (Atomic weight) के आवर्ती फलन होते हैं अर्थात यदि तत्वों को उनके Atomic weight के बढते क्रम में रखें तो एक निश्चित अंतराल के बाद समान गुण वाले तत्वों की पुनरावृत्ति होती है।
इसके गुण(It’s qualities)–1– इसमें 9 वर्ग हैं।
2-इसमें 12 आवर्त हैं।
इसकी विशेषताएँ (It’s Features)–1-तत्वों के अध्ययन में सुविधा।
2-नये तत्वों के खोज में सुविधा।
3-कुछ तत्वों के Atomic weight की सही ज्ञान। etc.
इसकी कमियां (It’s drawbacks)-1-तत्वों का अभिलाक्षणिक गुण उनका Atomic number है atomic weight नहीं।
2-हाड्रोजन(H) का सही स्थान का निर्धारण -इस periodic table में H को दो समूहों (हैलोजन परिवार और s-block) में रखा गया है जो कि सही नहीं है।
3-atomic weight के क्रम होने के बावजूद 18Ar40(आर्गन) को 19K39(पोटैशियम) से पहले रखा गया है जो सही नहीं है। etc.
मेण्डलीफ की संशोधित(नयी) आवर्त सारणी (Revised periodic table of Mendeleev)
मेण्डलीफ के मुल periodic table की कमियों को देखते हुए मोजले(Moseley) ने उसमें संशोधन करके नये रुप में प्रस्तुत किया,जिसे मेण्डलीफ की संशोधित आवर्त सारणी के नाम से जाना जाता है। मोजले ने बताया कि तत्वों के अभिलाक्षणिक गुण उनका Atomic number है।
इन्होंने आधुनिक आवर्त नियम दिया जिसके अनुसार “तत्वों के भौतिक व रासायनिक गुण उनके atomic number के आवर्ती फलन होते हैं।”
इसकी विशेषताएँ (It’s Features)-
- इसमें तत्वों को उनके Atomic Number के बढते क्रम में रखा गया है।
- इसमें 9 वर्ग तथा 7 आवर्त हैं।
- इसमें 0 से VIII तक 9 समूह होते हैं।
- किसी समूह में तत्वों के atomic number के साथ उनके गुणों में परिवर्तन होता है।
- किसी समूह में तत्वों के atomic number में वृद्धि के साथ उनका आयनन विभव घटता है तथा उनका धात्विक और धन विधुती लक्षण बढता है।
- इसमें अक्रिय गैसो को शून्य समूह में रखा गया है।
- इसके पहले आवर्त में केवल 2 तत्व हैं इसलिए इसे अतिलघु आवर्त कहते हैं।
- इसके दूसरे तथा तीसरे आवर्त को लघु आवर्त कहते हैं क्योंकि इनमें 8-8 तत्व हैं।
- इसके चौथे व पाँचवें आवर्त को दीर्घ आवर्त कहते हैं क्योंकि इनमें 18-18 तत्व हैं।
- इसके छठें व सातवें आवर्त को अतिदीर्घ आवर्त कहते हैं क्योंकि इनमें 32-32 तत्व हो सकते हैं।
- 2nd आवर्त के कुछ तत्व 3rd आवर्त के कुछ तत्वों के साथ विकर्ण सम्बन्ध प्रदर्शित करते हैं।
Eg – Li→Mg. Be→Al. B→Si.
- 3rd आवर्त के तत्व प्रारूपी तत्व कहलाते हैं।
- इसमें लेन्थेनाइड(lengthened) और एक्टिनाइड(actinide) श्रेणी के तत्वों को अलग रखा गया है।
इसके उपयोग(It’s use)
1 – तत्वों के अध्ययन में सुविधा।
2 – नये तत्वों के खोज मे सुविधा।
3 – कुछ तत्वों के atomic number का संशोधन।
इसकी कमियां (It’s drawbacks)–
1 – H के निश्चित स्थान का निर्धारण न हो सका।
2 – मोजले लेन्थेनाइड(lengthenide) और एक्टिनाइड(actinide) श्रेणी के तत्वों को अलग रखने का कारण नही बता पाएँ।
3 – मोजले ने इस आवर्त सारणी में धातुओं(metals) और अधातुओं को एक साथ रखा है जो कि इसका बहुत बड़ा दोष है। etc.
Modern periodic table (आधुनिक आवर्त सारणी)
मेण्डलीफ के संशोधित आवर्त सारणी की कमियों को देखते हुए आधुनिक आवर्त सारणी या दीर्घाकार आवर्त सारणी का निर्माण हुआ। इसमें तत्वों को उनके इलेक्ट्रानिक विन्यास(Electronic structure) के बढते क्रम में रखा गया है।
इसके आवर्त नियम के अनुसार तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुण उनके इलेक्ट्रानिक विन्यास के आवर्ती फलन होते हैं।
इसका विशेषताएँ(It’s Features)–
1-इसमें 7 आवर्त तथा 18 वर्ग हैं।
2– इसमें तत्वों को उनके electronic structure के बढते क्रम में रखा गया है।
3-इस periodic table को चार ब्लॉक(s,p,d और f) में बाँटा गया है।
4-इसमें भी लैन्थेनाइड(lengthenide) और एक्टिनाइट(actinide) श्रेणी के तत्वों को अलग रखा गया है।
इसकी उपयोग(It’s use)-
1-तत्वों के अध्ययन में सुविधा।
2-नये तत्वों के खोज में सुविधा।
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Sulphur DIE Oxide सल्फर डाई ऑक्साइड
सल्फर डाई आक्साइड (sulphur di-oxide) और Ammonia Gas highschool के board exam के दृष्टि से most important topics में से हैं।
रासायनिक सूत्र (Chemical formula) – SO2
बनाने की विधि (Method to make)-
SO2 गैस बनाने की कई विधियाँ हैं जिनमें से प्रमुख नीचे दिया गया है।
1 – कापर(Cu) को सल्फ्यूरिक अम्ल(H2SO4) के साथ गर्म करने पर SO2 गैस प्राप्त होती है।
Cu+2H2SO4 → CuSO4+2H2O+SO2
2 – सल्फर(S) को जलाने पर SO2 गैस प्राप्त होती है।
S+O2 → SO2
गुण ( It’s properties)-
1 – यह भीगे हुए रंगीन फूलों (flowers) को रंगहीन कर देती है। इस अभिक्रिया को विरंजन अभिक्रिया कहते हैं।
SO2+2H2 → H2SO4+2[H]
2 – SO2 पोटैशियम परमैगनेट के जलीय विलयन को रंगहीन कर देती है।
2KMnO4 + 5SO4 + 2H2O → K2SO4 + 2MnSO4 + 2H2SO4
3 – यह पोटैशियम डाईक्रोमेट(K2Cr2O7) के अम्लीय विलयन को हरा(green) कर देती है।
K2Cr2O7 + H2SO4 + 3SO2 → K2SO4 + Cr2(SO4)3 + H2O
4 – यह क्षारों से अभिक्रिया करके सल्फाइट या बाईसल्फाइट यौगिक बनाती है।
Eg
a – Ca(OH)2 + SO2 → CaSO3 + H2O
b – NaOH + SO2 → NaHSO3
5 – यह रंगहीन,तीक्ष्ण गंध वाली तथा जल में घुलनशील gas है। etc.
उपयोग (It’s use)-
1 – H2SO4 बनाने में।
2 – रेशम(silks) और ऊन (wool) बनाने में।
3 – खाद्य पदार्थों को खराब होने से बचाने में।
4 – चीनी(sugar) को शुद्ध करने में।
5 – कीटाणुनाशक के रूप में।
6 – यह जल के साथ अभिक्रिया करके H2SO3 (हाइड्रोजन सल्फाइट) बनाती है। अम्लीय वर्षा में H2SO3 ही होता है।
H2O + SO2 → H2SO3
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धातु (Definition of Metal in Hindi)
वे पदार्थ जो विद्युत् और ऊष्मा के सुचालक होते हैं तथा आघात्वर्ध्य व् तन्य होते हैं , धातु कहलाते हैं |
जैसे – लोहा(Fe) , एल्युमीनियम (Al) , सोडियम (Na) इत्यादि |
धातुओं के भौतिक और रासायनिक गुण( Physical and Chemical Properties of Metals )
1 – शुद्ध धातु की सतह चमकदार होती है , इसे धात्विक चमक कहते हैं |
2 – धातु कठोर होते हैं |
3- धातुओ को पीटकर पतली चादर बनाया जा सकता है , इस गुण को आघात्वर्ध्यता कहते हैं |
4- धातुएं तन्य होती हैं , अर्थात इन्हें पीटकर पतला तार बनाया जा सकता है |
5- धातुएं ध्वनिक होती हैं, अर्थात किसी कठोर वस्तु से टकराने पर ध्वनि उत्पन्न करती हैं |
6- धातुओं का गलनांक व क्वथनांक उच्च होते हैं |
7- धातुओं को ऑक्सिजन की उपस्थिति में जलाने पर ये ऑक्सिजन के साथ अभिक्रिया करके धातु ऑक्साइड बनाते हैं |
धातु + O2 → धातु ऑक्साइड
जैसे-
a. 2Cu + O2 → 2CuO
b. 2 Al + 3 O2 → Al2O3
8 – धातु तनु अम्लों से अभिक्रिया करके लवण बनाते हैं तथा हाइड्रोजन गैस बाहर निकलता है |
धातु + तनु अम्ल → धातु लवण + H2
जैसे –
a. 2K + 2HCl → 2KCl + H2
b. Cu + H2SO4 → H2
अधातु( Non-Metal In hindi )
वे तत्व जो धातु के विपरीत गुण वाले होते हैं , अधातु कहलाते हैं |
जैसे – कार्बन (C ), ऑक्सिजन (O ) , सल्फर (S ) इत्यादि |
अधातुओं के भौतिक और रासायनिक गुण( Physical and Chemical Properties of Non-Metals )
1- यह विद्युत् और ऊष्मा के कुचालक होते हैं |
2- यह भंगुर , अध्वनिक और सरलता से टूटने वाले होते हैं |
3- इनका गलनांक तथा क्वथनांक धातुओं से कम होता है |
4- अधातुयें ऑक्सिजन से अभिक्रिया करके अधातु ऑक्साइड बनाते हैं |
अधातु + O2 → अधातु ऑक्साइड
जैसे –
a. C + O2 → CO2
b. S + O2 → SO4
5- अधातुयें हाइड्रोजन से अभिक्रिया करके अधातु ऑक्साइड बनाती हैं |
अधातु + H2 → अधातु ऑक्साइड
जैसे-
a. N2 + 3H2 → 2NH3
b. C + 2H2 → CH4
धातु का निष्कर्षण (Metallurgy Definition in Hindi)
प्रकृति में धातु दो अवस्थाओं में पाए जाते हैं –
1 – मुक्त अवस्था – कम क्रियाशील धातुएं
जैसे – सोना (Au), चाँदी (Ag), प्लैटिनम (Pt) etc.
2 – संयुक्त अवस्था – अधिक क्रियाशील धातुएं
जैसे – तांबा (Cu), लोहा (Fe), जिंक (Zn) etc.
खनिज (Minerals) –
धातुओं के यौगिक(Compound) पृथ्वी में मिटटी , रेत , आदि अशुद्धियों के रूप में होते हैं , इनको खनिज कहते हैं |
अयस्क (Ores) –
वह खनिज जिससे धातु का निष्कर्षण आसानी से , कम समय और कम लागत में हो , अयस्क कहलाता है |
जैसे – कापर का अयस्क कॉपर पाईराइट (CuFeS2 ) , एल्युमीनियम का अयस्क बाक्साइट (Al2O3 . 2H2O) etc.
धातुकर्म (Metallurgy)-
अयस्क से शुद्ध धातु प्राप्त करने की क्रिया धातुकर्म कहलाता है | धातुकर्म की क्रिया निम्न चरणों में होती है –
1 – अयस्क का सांद्रण (Concentration of Ore)-
मिटटी , कंकण-पत्थर आदि मिले हुए अयस्क , जिन्हें अधात्री या मैट्रिक्स कहते हैं , का सबसे पहले सांद्रण किया जाता है | सांद्रण के लिए निम्नलिखित तीन विधियों का उपयोग किया जाता है –
a – फेन-प्लवन विधि(Froth Floatation Method) या झाग विधि
इस विधि के द्वारा सल्फाइड अयस्कों का सांद्रण होता है |
जैसे – CuFeS2, Cu2S, PbS etc.
b – चुम्बकीय पृथक्करण विधि (Magnetic Separation Method)-
जब अशुद्धियाँ अनुचुम्बकीय होती हैं , तब इस विधि का उपयोग किया जाता है |
c- गुरुत्वीय पृथक्करण विधि(Gravity Separation Method) –
इस विधि द्वारा हल्की अशुद्धियाँ जैसे – रेत , मिट्टी को अयस्क से दूर किया जाता है |
2- निस्तापन(Calcination) –
यह परवर्तनी भट्टी में होता है तथा इस विधि द्वारा ऑक्सिजन युक्त अयस्को (जैसे- कार्बोनेट ) का शोधन करते हैं | इस विधि में अयस्क को उच्च ताप पर ( उसके गलनांक से निचे ) गर्म करते हैं जिससे उसमें उपस्थिति नमी , SO2 , CO2 और अन्य वाष्पशील कार्बोनिक अपद्रव बाहर निकल जाते हैं |
जैसे – Al2O3 . 2 H2O → Al2O3 + 2 H2O
3 – भर्जन(Roasting) –
यह भी परावर्तनी भट्टी में होता है, इस विधि में सल्फर(S) और आर्सेनिक(As) अशुद्धियों को दूर किया जाता है | इस विधि में अयस्क को वायु की उपस्थिति में उसके गलनांक से निचे उच्च ताप पर गर्म करते हैं |
जैसे – 4 As + 3 O2 → 2 As2O3
4 – प्रगलन(Smelting) –
इस विधि में अयस्क में कोई गलाक ( जैसे- SiO2 या कोक ) मिलाकर उच्च ताप पर गर्म किया जाता है , जिससे अयस्क में उपस्थिति अशुद्धियाँ धातुमल (slag) के रूप में बाहर निकल जाती हैं |
जैसे – FeO + SiO2 → FeSiO3
Note- जब अयस्क में क्षारीय अशुद्धियाँ हों, तब अम्लीय गालक (SiO2) तथा जब अयस्क में अम्लीय अशुद्धियाँ हों , तब क्षारीय गालक (CaO) का उपयोग करते हैं |
5- धातु का शोधन (Metal Refining)
प्रगलन के बाद भी अयस्क में कुछ अशुद्धियाँ रह जाती हैं , यह अशुद्धियाँ शोधन के द्वारा समाप्त होतीं हैं | शोधन के लिए विद्युत्-अपघटन की विधि उपयोग की जाती है |
UP Board 10th Chemistry Notes in Hindi PDF
कार्बनिक यौगिक (Organic Chemistry Notes in Hindi)
कुछ प्रमुख कार्बोनिक यौगिक निम्नलिखित हैं –
A – मेथेन (Methane)
अणुसूत्र – CH4
संरचना सूत्र –
इसको मार्स गैस भी कहते हैं |
बनाने की विधि (Method to make Methane)-
प्रयोगशाला में मेथेन गैस सोडियम एसिटेट को सोडा लाइम (NaOH + CaO) के साथ गर्म करके प्राप्त किया जाता है |
भौतिक एव रासायनिक गुण ( Physical and Chemical Properties of Methane )-
1 – यह रंगहीन , गंधहीन तथा स्स्वादहीन गैस है |
2 – इसका गलनांक 90 K तथा क्वथनांक 111 K है |
3 – यह जल की अपेक्षा कार्बोनिक विलायकों ( जैसे- एल्कोहाल , ईथर etc ) में अधिक विलेय होता है |
4 – इसको जलाने पर यह कार्बोन डाई ऑक्साइड और जल बनती हैं |
CH4 + 2O2 → 2H2O + CO2
5 – नाइट्रिक अम्ल के साथ 400 ℃ पर क्रिया करके नाइट्रो मेथेन व जल बनता है |
6 – ऑक्सिजन की अनुपस्थिति में , मेथेन को 1000 ℃ पर गर्म करने पर यह कार्बोन और हाइड्रोजन में टूट जाता है |
उपयोग (Uses of Methane)
1- इंधन के रूप में |
2- बैटरियों में |
3- मेथिल एल्कोहाल बनाने में |
4- फार्मेल्डीहाईड बनाने में |
5- टायर , स्याही इत्यादि बनाने में |
B – एथिलीन (Ethylene)
अणुसूत्र – C2H4
संरचना सूत्र –
I.U.P.A.C Name – एथीन
बनाने की विधि ( Method to make Ethylene )-
एथिल एल्कोहल को सान्द्र सल्फ्युरिक अम्ल के साथ गर्म करने पर एथिल हाइड्रोजन सल्फेट (C2H5HSO4) प्राप्त होता है , जिसको 100 ℃ पर गर्म करने पर एथिलीन प्राप्त होता है |
C2H5OH + H2SO4 → C2H5HSO4 + H2O
C2H5HSO4 → H2SO4 + C2H4
भौतिक एव रासायनिक गुण (Physical and Chemical Properties of Ethylene)-
1-यह रंगहीन तथा मीठी गंध वाली गैस है |
2- इसको अधिक सूंघने पर बेहोशी आ जाती है |
3- यह जल की अपेक्षा कार्बनिक विलायकों में अधिल विलेय है |
4- इसको जलाने पर CO2 और जल बनता है |
C2H4 + 3O2 → H2O + 2CO2
5- सल्फ्युरिक अम्ल के साथ क्रिया करके एथिल हाइड्रोजन सल्फेट बनाता है |
C2H4 + H2SO4 → C2H5HSO4
6- यह हैलोजन अम्लों ( जैसे- HCl , HI , HF etc.) के साथ क्रिया करके एथिल हैलाइड बनता है |
C2H4 + HCl → C2H5I
एथिलीन का उपयोग (Uses of Ethylene)-
1- कच्चे फलों को पकाने में |
2- निश्चेतक ( बेहोशी की दवा ) के रूप में |
3- रबर और पोलीथिन बनाने में |
4- मस्टर्ड गैस बनाने में |
5- एथिल एल्कोहल बनाने में |
C – एथिल एल्कोहाल (Ethyl Alcohol)
अणुसूत्र – C2H5OH
संरचना सूत्र –
I.U.P.A.C Name- एथेनाल
बनाने की विधि (Method to make Ethyl Alcohol)-
एथिल हैलाइड ( जैसे- C2H5I, C2H5Cl, C2H5Br etc.) तथा कास्टिक सोडा या कास्टिक पोटाश के जलीय विलयन को गर्म करने पर एथिल एल्कोहाल प्राप्त होता है |
C2H5I + NaOH → C2H5OH + NaI
C2H5Br + KOH → C2H5OH + KBr
भौतिक एव रासायनिक गुण (Physical and Chemical Properties of Ethyl Alcohol)-
1- यह रंगहीन तथा तेज गंध वाला द्रव है |
2- जल और कार्बोनिक विलायक दोनों में विलेय है |
3- यह अधिक विषैला है , तथा अधिक सेवन सेवन करने पर शारीरिक अंगो को क्षति पहुचता है |
4- सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में एथिल अल्कोहल को गर्म करने पर डाई एथिल ईथर बनता है |
5- फास्फोरस ट्राई क्लोराइड से क्रिया करके फास्फोरस अम्ल बनाता है |
3C2H5OH + PCl3 → 3C2H5Cl + H3PO3
6- सोडियम से क्रिया करके सोडियम एथाक्साइड बनाता है तथा हाइड्रोजन गैस निकलता है |
2Na + C2H5OH → 2C2H5ONa + H2
उपयोग (Uses of Ethyl Alcohol)-
1 – मदिरा के रूप में |
2 – सिरका , एसिटिक अम्ल , ईथर इत्यादि बनाने में |
3- रबर , पेण्ट आदि बनाने में |
4- क्लोरोफार्म बनाने में |
5- कार्बोनिक विलायक के रूप में |
d – एसिटिक अम्ल (Acetic Acid)
अणुसूत्र – CH3COOH
संरचना सूत्र –
I.U.P.A.C Name- एथेनोईक अम्ल
बनाने की विधि ( Method to make Acetic Acid )-
सोडियम एसिटेट तथा सल्फ्यूरिक अम्ल को एक साथ गर्म करने पर एसिटिक अम्ल प्राप्त होता है |
2CH3COONa + H2SO4 → 2CH3COOH + Na2SO4
भौतिक एव रासायनिक गुण ( Physical and Chemical Properties of Acetic Acid )-
1 – यह रंगहीन व सिरके जैसी गंध वाला द्रव है |
2 – यह जल तथा कार्बोनिक विलायकों में विलेय है |
3 – इसको -47 ℃ तक ठंडा करने पर बर्फ जैसा क्रिस्टलीय ठोस बन जाता है |
4 – यह क्षारों से क्रिया करके लवन बनता है |
CH3COOH + NaOH → CH3COONa + H2O
5 – सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में एल्कोहाल से क्रिया करके एस्टर बनाता है |
6 – फास्फोरस पेंटा ऑक्साइड की उपस्थिति में एसिटिक अम्ल को गर्म करने पर इसका निर्जलीकरण हो जाता है |
उपयोग (Uses of Acetic Acid)-
1 – प्रयोगशाला में |
2 – दवाओं (Medicines ) के निर्माण में |
3 – सिरका के रूप में |
4 – एस्टर बनाने में |
5 – कृत्रिम रेशम बनाने में |
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